भारत के मसाले ही नहीं देश की प्रतिष्ठा पर भी उठे सवाल, दांव पर लगे 70 करोड़ डॉलर

MDH and Everest Row: भारत को मसालों का देश कहा जाता है. भारतीय मसाले दुनियाभर में मशहूर है. दुनिया में भारत की पहचान उसके मसालों से है. प्राचीन काल से भारत के गरम मसालों ने दुनिया को अपना दीवाना बनाया है, लेकिन बीते कुछ दिनों से भारतीय मसाले सवाल

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MDH and Everest Row: भारत को मसालों का देश कहा जाता है. भारतीय मसाले दुनियाभर में मशहूर है. दुनिया में भारत की पहचान उसके मसालों से है. प्राचीन काल से भारत के गरम मसालों ने दुनिया को अपना दीवाना बनाया है, लेकिन बीते कुछ दिनों से भारतीय मसाले सवालों से घिरे हैं. एमडीएच और एवरेस्ट मसाला ब्रांड को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं है. हांगकांग और सिंगापुर में इन मसालों को बैन कर दिया गया है. बैन की इस चिंगारी की आग यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच चुकी है.कुछ देशों ने इन ब्रांड्स के मसालों को बैन कर दिया है तो कुछ देशों ने इसे लेकर अलर्ट जारी कर दिया है. इन ब्रैंड पर उठी ऊंगलियों ने भारत के मसाला कारोबार को प्रभावित किया है.

सवालों में भारत का मसाला कारोबार

एमडीएच और एवरेस्ट मसालों की गुणवत्त पर उठा सवालों के बाद भारतीय मसाला कारोबार पर संकट मंडराने लगा है. भारतीय मसालों का दुनियाभर में बोलबाला है, लेकिन इस विवाद के बाद इसकी छवि को नुकसान पहुंच रहा है. दिल्ली के थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक भारतीय मसालों की गुणवत्ता को लेकर जो सवाल उठाए गए हैं, उसपर तत्काल ध्यान देने की जरुरत है, वरना इसका असर भारतीय की अर्थव्यवस्था पर दिखने लगेगा.

कितना बड़ा भारत का मसाला बाजार

जिन देशों में भारतीय मसाला ब्रांड पर सवाल उठ रहे हैं, अगर सिर्फ उनकी बात की जाए तो वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने अमेरिका, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, मालदीव को करीब 69.25 करोड़ डॉलर के मसालों का निर्यात किया है. अब इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्वालिटी पर उठे सवाल से कितना बड़ा नुकसान हो सकता है. अगर वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के मसालों का निर्यात देखें तो ये करीब 4.25 अरब डॉलर था. वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 12 फीसदी की है.

बैन बढ़ा तो कितना बड़ा नुकसान थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) के रिपोर्ट के मुताबिक अगर सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग की तरह चीन भी मसालों के निर्यात पर कार्रवाई करता है तो भारत को बड़ा नुकसान हो सकता है. सिर्फ इस बैन से भारत के मसाला निर्यात को 2.17 अरब डॉलर का झटका लग सकता है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर यूरोपियन यूनियन (ईयू) भारत के मसालों की खेप को नियमित रूप से खारिज करना जारी रहता है तो स्थिति और खराब हो सकती है. ईयू के इस कदम से भारत को 2.5 अरब डॉलर का अतिरिक्त नुकसान हो सकता है.

सिर्फ मसाले ही नहीं, भारत की प्रतिष्ठा भी दांव पर

भारत जैसे विकासशील देश के लिए निर्यात बहुत अहम है. विकासित देश बनने की ओर अग्रसर भारत निर्यात को बढ़ाने की हर संभव कोशिश कर रहा है. लेकिन भारत के दो सबसे पॉपुलर मसाला ब्रांड के कुछ प्रोडक्ट की गुणवत्ता पर उठे सवालों ने भारत के निर्यात पर सवाल खड़ा कर दिया है. एमडीएच और एवरेस्ट मसालों पर उठे सवाल से इस पूरे कारोबार को झटका लगा है. इसने भारत के पूरे मसाला एक्सपोर्ट को कठघरे में खड़ा कर दिया है. वित्त वर्ष 2024 में भारत ने करीब 70 करोड़ डॉलर का मसाला निर्यात किया, लेकिन मसालों की गुणवत्ता पर उठे सवाल के बाद इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. मसालों पर उठे सवाल ने भारत की स्पाइस इंडस्ट्री की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया है. अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बाद अब मसाला बोर्ड और FSSAI ने रूटीन सैंपलिंग शुरू कर दी है, हालांकि मसालों की क्वालिटी को लेकर कोई ठास बयान नहीं दिया गया.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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